प्रारंभिक स्थिति :
 पेट के बल लेटें।
ध्यान दें :
 पूरे शरीर पर।
श्वास :
 सामान्य।
दोहराना :
 2-3 मिनट।
अभ्यास :
 पेट के बल लेटें। कोहनियों को मोड़ें और ठोडी को हाथों में रखें। > सामान्य श्वास लेते हुए दूर किसी बिन्दु पर देखें। कोहनियों को मोड़ते हुए, एक के बाद एक, दायें और बायें पैर को ऊपर और नीचे धीरे-धीरे व तनावहीनता से करते रहें।
लाभ :
 इसका एक बहुत विश्रामदायक और सन्तुलित प्रभाव शरीर और मन पर होता है। यह रीढ़, कूल्हों और घुटनों को आराम देने के लिए विशेष रूप से लाभदायक है। यह पाचन-प्रणाली को सुगम करता है। श्वास को गहरा करता है एवं एकाग्रता को बढ़ाता है।
आसन इन निम्नलिखित श्रेणियों में शामिल किया जाता है:
घुटने के जोड़ों की गतिशीलता को बढ़ाने हेतु आसन और व्यायाम
स्नायु तंत्र को शांत एवं संतुलित करने के लिए आसन और व्यायाम

